शहर की सड़कों पर गंदगी का बुरा हाल दिखता है। स्वच्छता अभियान तब तक विफल रहेंगे जब तक लोग स्वच्छता को अपनी आदत में शुमार नहीं कर लेते। इस बार तो भारी बारिश ने भी पुणे की चाक चौबंद निकाय व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है।
महाराष्ट्र का पुणे शहर राज्य की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। वर्ष 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुणे में स्मार्ट सिटी योजना की शुरुआत की थी तो लोगों को उम्मीद हुई थी कि देश का प्रमुख एजुकेशन हब समझे जाने वाले इस शहर की किस्मत अब पलट जायेगी और पुणे देश का पहला स्मार्ट सिटी बन जायेगा लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर रही। पुणे में चरमराती ट्रैफिक व्यवस्था बताती है कि यदि आप किसी जरूरी काम से बाहर जाना चाहते हैं तो अतिरिक्त समय लेकर निकलें। शहर की सड़कों पर गंदगी का बुरा हाल दिखता है। स्वच्छता अभियान तब तक विफल रहेंगे जब तक लोग स्वच्छता को अपनी आदत में शुमार नहीं कर लेते। इस बार तो भारी बारिश ने भी पुणे की चाक चौबंद निकाय व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है। एक बारिश में ही सड़कों पर पेड़ गिर जाते हैं जिससे कई-कई किलोमीटर के जाम लग जाते हैं। लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करने भी बहुत ही कम रुचि दिखाते हैं। कहा जा सकता है कि यदि पुणे में सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं किया है तो नागरिक भी अपने कर्तव्यों में कोताही बरतते दिखाई पड़ जाते हैं। अधिकतर दोपहिया वाहन चालक ट्रैफिक नियमों का पालन तो नहीं ही करते हैं साथ ही हेलमेट नहीं लगाकर अपने जीवन की सुरक्षा से भी खुलेआम खिलवाड़ करते हैं।